दहेज प्रथा पर निबंध । Dahej Pratha Essay in Hindi – दोस्तो आज मै कक्षा 5वी से 12वीं तक के सभी छात्र-छात्राओं के लिए दहेज प्रथा पर निबंध लिखा हूँ। इस आर्टिकल मे दहेज प्रथा से जुड़ी सभी मुद्दो पर चर्चा करी है। उम्मीद है आप सब से काम जरुर आएगी।
Dahej Pratha Essay in Hindi
निबंध 1- 450 शब्द
भूमिका – विवाह के अवसर पर कन्या पक्ष द्वारा वर पक्ष को उपहार के रूप में जो भेंट दी जाती है उसे दहेज कहते हैं यह प्रथा अत्यंत प्राचीन काल से चली आ रही है लेकिन आज यह बुराई का रूप धारण कर चुकी है परंतु मूल रूप से या बुराई नहीं है।
बुराई – आखिर दहेज को होम बुरा कैसे कह सकते हैं विवाह के समय प्रेम का उपहार देना बुरा कैसे हैं? एक पिता अपनी कन्या को खाली हाथ विदा कैसे कर दें? अपनी प्यारी बिटिया के लिए धन समान वस्त्र आदि देना प्रेम का प्रतीक है, परंतु या भेंट प्रेम उस दिन जानी चाहिए धाक जमाने के लिए नहीं। दूसरी बात है कि दहेज अपनी शक्ति के अनुसार दी जानी चाहिए मजबूरी में नहीं। तीसरी बात है की दहेज दीया जाना ठीक है मांगा जाना ठीक नहीं है दहेज को बुराई वहां कहां जाता है जहां मांग होती है दहेज प्रेम का उपहार है जबरजस्ती खींच ली जाने वाली संपत्ति नहीं।
दुर्भाग्य से आजकल दहेज की जबरदस्ती मांग की जाती है दूल्हों के भाव लगते हैं बुराई की हत्या तक बढ़ गई है जितना शिक्षित दूल्हा हो समझदार हो उसका भाव उतना ही अधिक है आज डॉक्टर इंजीनियर आईएएस आईपीएस इन सभी का भाव सिर चढ़कर बोलता है। ऐसे में कन्या के पिता क्या करें? वह दहेज की मंडी में से योग्यतम वर खरीदने के लिए इतना सारा धन कहां से लाएं बस यही से बुराई शुरू होती है।
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दुष्परिणाम – दहेज प्रथा के दुष्परिणाम अनेक है या तो कन्या को लाखों का दहेज देने के लिए घूस, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार कालाबाजारी आदि का सहारा लेना पड़ता है नहीं तो उनकी बेटियां अयोग्य वरों के माथे चढ़ा दी जाती है। आज हम हर रोज समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि दहेज के लिए यूपी से रेल के नीचे कटकर मरे किसी बहू को ससुराल वालों ने जिंदा जला कर मार डाला किसी बहन बेटी ने डिप्रेशन में आकर आत्महत्या कर ली। यह सभी घिनौना परिमाण दहेज रूपी समाज के ही हैं।
रुकने के उपाय – हालाकी दहेज की बुराई को रोकने के लिए समाज में अनेक संस्थाएं बनी है युवकों को प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर भी कराएं गए है परंतु समस्या ज्यों के त्यों है।इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है। सरकार ने दहेज निषेध अधिनियम के अंतर्गत दहेज के दोषी को कड़ा दंड देने का विधान रखा है परंतु आवश्यकता है जन जागृति की जब तक युवा दहेज का बहिष्कार नहीं करेंगे और युक्तियां दहेज लोभी युवकों को तिरस्कार नहीं करेंगे तब तक यह कोढ़ चलता रहेगा।
हमारे साहित्यकारों और कलाकारों को चाहिए कि वे युवकों को हृदय में दहेज के प्रति तिरस्कार जगाएं प्रेम विवाह को प्रोत्साहन देने से भी यह समस्या दूर हो सकती है। सरकार को चाहिए कि दूसरी जातियों में शादी संबंधी कोई प्रस्ताव लाए ताकि दहेज प्रथा (Dahej Pratha Essay in Hindi)को जड़ से उखाड़ फेंक सकें।
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Dahej Pratha Essay in Hindi
निबंध 1- 300 शब्द
भूमिका – दहेज-प्रथा एक अभिशाप भूमिका-दहेज भारतीय समाज के लिए अभिशाप है। यह कुप्रथा भुन की तरह समाज को खोखला करती चली जा रही है । इसने नारी-जीवन और सामाजिक व्यवस्था को तहस-नहस करके रख दिया है।
कारण – दुर्भाग्य से आजकल दहेज की जबरदस्ती मांग की जाती है। दूल्हों के भाव लगते हैं। बुराई को हद यहाँ तक बढ़ गई है कि जो जितना शिक्षित है, समझदार है, उसका भाव उतना ही तेज है। आज डॉक्टर, इंजीनियर का भाव दस-पंद्रह लाख, आई. ए. एस. का चालीस – पचास लाख, प्रोफेसर का आठ-दस लाख, ऐसे अनपढ़ व्यापारी, जो खुद कौड़ी के तीन बिकते हैं, उनका भी भाव कई बार कई लाखों तक जा पहुंचता है। ऐसे में कन्या का पिता कहाँ मरे ? वह दहेज की मंडी में से योग्यतम वर खरीदने के लिए धन कहाँ से लाए ? बस यहीं से बुराई शुरू हो जाती है।
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निवारण – हालाँकि दहेज को रोकने के लिए समाज में संस्थाएँ बनी हैं, युवकों से प्रतिज्ञा-पत्रों पर हस्ताक्षर भी लिए गए हैं, कानून भी बने हैं, परंतु समस्या ज्यों को त्यों है । सरकार ने ‘दहेज निषेध’ | अधिनियम के अंतर्गत दहेज के दोषी को कड़ा दंड देने का विधान रखा है। परंतु वास्तव में आवश्यकता है-जन-जागृति की । जब तक युवक दहेज का बहिष्कार नहीं करेंगे और युवतियों दहेज-लोभी युवकों का तिरस्कार नहीं करेगी, तब तक यह कोड चलता रहेगा।
उपसंहार – दहेज अपनी शक्ति के अनुसार दिया जाना चाहिए, धाक जमाने के लिए नहीं, दहेज दिया जाना ठीक है, माँगा. जाना ठीक नहीं । दहंज को बुराई वहाँ कहा जाता है, जहाँ माँग होती है । दहेज प्रेम का उपहार है: जबरदस्ती खाँच ली जाने वाली संपति नहीं।