आज का निबंध देश प्रेम पर निबंध (Desh Prem Essay in Hindi) पर दिया गया हैं आप Desh Prem Essay in Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8,9.10 और 12 के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त हैं।
Desh Prem Essay in Hindi
एक कवि ने कहा है “जो भरा नहीं भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं,
हृदय नहीं वह पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।” समाजसेवा, देशसेवा, देशभक्ति, देशप्रेम मनुष्य की नैसर्गिक प्रवृत्ति है। पक्षियों को अपने घोंसले से प्यार होता है, पानी के बिना मछली नहीं जी सकती, पेड़-पौधे भी अपनी खास मिट्टी में ही उपजते हैं। फिर हम तो मनुष्य हैं। जिस धस्ती पर सरक-सरक कर हम खड़े हुए हैं, जिसका अन्न-जल ग्रहण किया है, जिसकी हवा में साँस लिया, है, उससे प्रेम कैसे नहीं होगा?
देशभक्ति या समाज-सेवा का अर्थ है देशवासियों की नि:स्वार्थ सेवा। मुल्क के गरीबों की गरीबी, भुखमरी दूर करने का प्रयत्न, अंध-विश्वास और रूढ़ियों से निकालने की कोशिश, देश से भ्रष्टाचार, बेरोजगारी भगाने की चेष्टा और सताए हुए लोगों को ऊपर उठाने का कार्य, अपने देश के सीमाओं की रक्षा और निष्ठापूर्वक कर्तव्य-पालन देशभक्ति है। अतः देशभक्ति का अवसर सदा मौजूद रहता है, इसके लिए प्रतीक्षा की जरूरत नहीं है। देश में अगर कहीं भी अत्याचार हो रहा है, तो इसे दूर करने का प्रयत्न या इसके विरूद्ध आवाज उठाना भी देशभक्ति ही है।
Desh Prem Essay in Hindi
देशभक्ति या समाज-सेवा का भाव जिसमें होता है, वह देश के लिए हँसते-हँसते अपने को न्योछावर कर देता है और लोगों के मन-मंदिर में प्रतिष्ठित हो जाता है। महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, गुरुगोविन्द सिंह, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह और गाँधी इसी कारण मरकर भी अमर हैं। किसी देश का इतिहास उसके देशभक्तों का ही इतिहास होता है। जहाँ कहीं देशभक्त होते हैं, वहाँ खुशहाली-ही-खुशहाली होती है। जिस देश में देशभक्त या समाज-सेवी नहीं होते हैं, वहाँ गरीबी और शोषण का नंगा नाच देखने को मिलता है।
देशभक्त या समाज-सेवी अपने इसी गुण के कारण देवताओं की कोटि में आता है, जिसके चरणों पर अपना मस्तक रखना लोग सौभाग्य समझते हैं। कहा गया है “मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर देना तुम फैक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ पर जावें वीर अनेक।”