Shayari for Maa in Hindi – “माँ ” एक शब्द जिसमें सारा संसार व्याप्त है। संसार को चलाने वाली, बच्चों के लिए संसार से लड़ आने वाली, अपनी हर संतान को बराबर प्यार देने वाली, एक इन्सान की पहली गुरु। माँ जो सारी उम्र अपने परिवार के लिए समर्पित कर देती है। लेकिन उसके मन में कभी कोई लालच नहीं आता। अगर कोई लालच होता है तो बस इतना की उसकी संताने हर खुशियों का आनंद लें। हम सब अपनी माँ को बहुत प्यार करते हैं और माँ के लिए दुआ करते हैं।
Maa Par Shayari In Hindi
आँख खोलू तो चेहरा मेरी माँ का हो
आँख बंद हो तो सपना मेरी माँ का हो.
यूं ही नहीं गूंजती किल्कारीयां घर आँगन
के हर कोने में जान हथेली पर रखनी
पड़ती है ‘माँ’ को ‘माँ’ होने में
मैं मर भी जाऊं तो भी कोई गम नहीं
लेकिन कफ़न मिले तो दुपट्टा मेरी माँ का हो.
उसकी डांट में भी प्यार नजर आता है,
माँ की याद में दुआ नजर आती है.
माँ ना होती तो वफ़ा कौन करेगा
ममता का हक़ भी कौन अदा करेगा.
माँ से रिश्ता कुछ ऐसा बनाया जिसको निगाहों में बिठाया जाए रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसा की वो अगर उदास हो तो हमसे भी मुस्कुराया न जाये.
इस लिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ पर मेरी शह-रग पे मेरी माँ की दुआ रक्खी थी.
रब हर एक माँ को सलामत रखना वरना हमारे लिए दुआ कौन करेगा
तेरी डिब्बे की वो दो रोटिया कही बिकती नहीं माँ, महंगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं.
खाने की चीज़ें माँ ने जो भेजी हैं गाँव से बासी भी हो गई हैं तो लज़्ज़त वही रही.
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी.
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ.
जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ, में खुदा से पहले मेरी माँ को जानता हूँ.
चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है.
बर्तन माज कर माँ चार बेटो को पाल लेती है,
लेकिन चार बेटो से माँ को दो वक्त की रोटी नही दी जाती.
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता.
जिस के होने से मैं खुदको मुक्कम्मल मानता हूँ मेरे रब के बाद मैं बस अपनी माँ को जानता हूँ.
बिना हुनर के भी वो चार ओलाद पाल लेती है, कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी.
भीड़ में भी सीने से लगा के दूध पिला देती है , बच्चा अगर भूखा हो तो माँ शर्म को भूला देती है.
आँखों से माँगने लगे पानी वज़ू का हम काग़ज़ पे जब भी देख लिया माँ लिखा हुआ.
किसी का दिल तोडना आज तक नही आया मुझे प्यार करना जो अपनी माँ से सीखा है मैंने.
माँ तेरी याद सताती है मेरे पास आ जाओ थक
गया हूँ मुझे अपने आँचल में सुलाओ उँगलियाँ
फेर कर बालों में मेरे एक बार फिर से
बचपन की लोरियाँ सुनाओ.
कहीं भी चला जाऊं दिल बेचैन रहता है,
जब घर जाता हूं तो माँ के आंचल में
ही सुकून मिलता है.
कदम जब चूम ले मंज़िल तो जज़्बा मुस्कुराता है
दुआ लेकर चलो माँ की तो रस्ता मुस्कुराता है.
बहुत बेचैन हो जाता है जब कभी दिल मेरा
मैं अपने पर्स में रखी अपनी माँ की
तस्वीर को देख लेता हूँ.
ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे
माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे.
मुझे माफ़ कर मेरे या खुदा झुक कर करू तेरा सजदा तुझसे भी पहले माँ मेरे लिए ना कर कभी मुझे माँ से जुदा.
जब नींद नहीं आती, तब मां की लोरी याद आती है.
मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें
फाड़ दीं सिर्फ़ इक काग़ज़ पे लिक्खा
लफ़्ज़—ए—माँ रहने दिया.
ऊपर जिसका अंत नहीं उसे ‘आसमां’ कहते हैं
इस जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे ‘माँ’ कहते हैं.
खूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखी…
जब मैंने मुस्कराती हुई माँ देखी.
हजारो फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए हजारों दीपक चाहिए एक आरती सजाने के लिए.
मैं रात भर जन्नत की सैर करता रहा यारों सुबह आँख खुली तो देखा मेरा सर माँ के कदमों में था.
हजारों बून्द चाहिए समुद्र बनाने के लिए पर “माँ “अकेली ही काफी है बच्चो की जिन्दगी को स्वर्ग बनाने के लिए.
मां की ममता करूणा न्यारी ,
जैसे दया की चादर ,
शक्ति मेरी नित हम सबको ,
बन अमृत की गागर.
मोहब्बत का मतलब मुझे पता तब चला
जब सेब 4 थे और हम पांच ते मां ने
कहा मुझे सेब पसंद नही.
हर रिश्ते में मिलावट देखी , कच्चे रंगो की सजावट देखी , लेकिन सालो साल देखा है माँ को , उसके चेहरे पर न कभी थकावट देखी न ममता में कभी मिलावट देखी.
अब भी चलती है ,
जब आंधी कभी गम की ,
मां की ममता मुझे बाहों में छुपा लेती है.
मां की कदर करो ,
जिसने तुम्हे 9 महिने पेट में 3 साल हाथो
में और जिन्दगी भर दिल में रखा.
मां की ममता घने बादलो की तरह ,
सर पर साया किये साथ चलती रही ,
एक बच्चा किताबे लिए हाथ में खामोशी
से सड़क पार करते रहा.
मां की आंचल के साए में कोई गम छूट भी नही पाता है…
जब मां के गोद में साता हूँ तो आसमान को छू लेता हूँ.
मां की एक दुआ जिंदगी बना देगी ,
खुद रोयेगी मगर तुझको हंसा देगी ,
कभी भूल के भी मां को न रूलाना ,
तुम्हारी एक गलती पूरा अर्ष हिला देगी.
यूं ते मैने बुलन्दियो के हर निशान को छुआ,
जब मां ने गोद में उठाया तो आसमान को छुआ.
हालातों के आगे जब साथ न जुबां होती है , पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द वो सिर्फ मां होती है.
कोई मां बेटे को कभी भी यह नही कहती की मुझे सुखी रखना , मां तो हमेशा इतना ही कहती है की बेटा… तू सदा सुखी रहना.
मां की दुआ जीवन को जन्नत बना देगी ,
खुद रो कर भी हमें हंसा देगी.
खुदा का दूसरा रूप है मां ,
ममता की गहरी झील है माँ ,
वो घर किसी जन्नत से कम नही ,
जिस घर में खुदा की तरह पूजी जाती है मां
घुटनो से रेंगते-रेंगते जब पैरो पर खड़ा हो गया , मां तेरी ममता की छांव में जाने कब बड़ा हो गया.
माँ ममता की अनमोल दास्तान है , जो हर दिल पर अंकित है.
दिन भर काम करने के बाद पापा-कितना कमाया ? पत्नी-कितना बचाया , बेटा-क्या लाये , लेकिन सिर्फ मां ही पूछती है –बेटा कुछ खाया.
दवा असर ना करे तो नजर उतारती है , मां है जनाब कहां हार मानती है.
सोचा थोड़ा निभांऊ अपना फर्ज , माँ थोड़ा चुकाऊं तेरी ममता का कर्ज.
उसकी डांट में भी प्यार नजर आता है , मां की याद में दुआ नजर आती है.
मां की ममता , और मां का प्यार ,जिसके पास उसके सर पर दुनिया हर तजो ताज.
दम तोड़ देती है मां की ममता ,
जब उनकी औलाद कहती है ,
आपने हमारे लिए किया ही क्या है.
मत कहिए की मेरे साथ हम रहती है माँ,
कहिए की माँ के साथ हम रहते है.
समन्दर की स्याही बनाकर शुरू किया था लिखना,
खत्म हो गई स्याही मगर माँ की तारिफ बाकी है.